दिल्ली में आए 50 हजार किसान, अपनी बात लाभ क्रांति कैसे काम करती है? कह लौट गए खेत-खलिहान: न कोई टेंट गड़ा-न किसी पर ट्रैक्टर चढ़ा, फिर ‘बक्कल उतार दूँगा’ वाले कौन थे
राकेश टिकैत कहते थे कि उनके पास 700 माँगों की सूची है? क्या उनके 'बक्कल उतारने' जैसे बयानों से लगता भी था कि वो सचमुच किसानों की समस्याओं के समाधान के प्रति सकारात्मक हैं? केंद्र सरकार के मंत्रियों ने कई राउंड की वार्ताएँ की, सब विफल। 'कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT)' ने बताया कि 'किसान आंदोलन' के कारण देश को 60,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
‘किसान गर्जना रैली’ को लेकर मीडिया में खबरें आईं। ‘किसानों का प्रदर्शन’ – ये शब्द सुनते ही जनता की प्रतिक्रिया काफी कटु रही। किसी ने पूछा कि अब वो और क्या मुफ्त में माँगने आए हैं तो किसी ने कहा कि केंद्र सरकार ने झुकते हुए कृषि कानूनों को रद्द कर दिया, फिर ये क्यों निकले हैं? किसानों और उनके प्रदर्शनों को लेकर इस तरह की धरना बनने के कारण वही 1 साल तक चला ‘किसान आंदोलन’ है, जो सिंघु और टिकरी जैसी दिल्ली की सीमाओं पर बैठा हुआ था।
राकेश टिकैत कहते थे कि उनके पास 700 माँगों की सूची है? क्या उनके ‘बक्कल उतारने’ जैसे बयानों से लगता भी था कि वो सचमुच किसानों की समस्याओं के समाधान के प्रति सकारात्मक हैं? केंद्र सरकार के मंत्रियों ने कई राउंड की वार्ताएँ की, सब विफल। ‘कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT)’ ने बताया कि ‘किसान आंदोलन’ के कारण देश को 60,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही में दिक्कतें आईं।
जबकि, ‘किसान गर्जना रैली’ में दृश्य इसके उलट था। वहाँ तैनात पुलिसकर्मी और पैरा-मिलिट्री के लोग निश्चिंत थे। कानून के साथ हर व्यक्ति सहयोग कर रहा था। चाँदनी चौक और आसपास के इलाकों में ठेले लगाने वाले छोटे-मोटे सामान लेकर वहाँ लाभ क्रांति कैसे काम करती है? पहुँच गए थे, ताकि कुछ सामान बिक जाए। बाहर से आए ऊनी कपड़ों और सस्ती चीजों की लोग खरीददारी भी कर रहे थे। कहीं कोई भगदड़ नहीं मची। बुजुर्ग से लेकर युवा और महिलाओं तक की उपस्थिति रही।
‘किसान गर्जना रैली’ में हमने किसानों को अपने सामान और झोलों को रख कर उनकी सुरक्षा करते देखा। ये लोग ज़रूरत के कपड़े व अन्य सामान अपने साथ लेकर आए थे, जिन्हें वो ले गए। कोई रेलवे स्टेशन का पता पूछ रहा था तो कोई अपने परिचितों को फोन कॉल कर उनसे लाभ क्रांति कैसे काम करती है? मिलने जा रहा था। इस आंदोलन में आम लोग थे, फैंसी जमात नहीं। हाँ, AAP सरकार ने इनके -पानी उपलब्ध नहीं कराया था, क्योंकि ये उपद्रवी नहीं थे।
‘किसान आंदोलन’ में खालिस्तानियों की सक्रियता भी छिपी नहीं थी। प्रतिबंधित संगठन SFJ का पन्नू लगातार वीडियो जारी कर सिख युवाओं को भड़काता रहा। ट्रैक्टर को हथियार बनाने से लेकर लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने तक की बातें हुईं। ISI के लोग इस ‘आंदोलन’ में घुस गए। निहंगों द्वारा लखबीर सिंह नामक दलित की बेअदबी के आरोप में हत्या हो या शराबियों द्वारा मुकेश को ज़िंदा जलाना – ‘किसान आंदोलन’ नशा और कट्टरवाद का अड्डा बना हुआ था। 26 जनवरी, 2021 को ट्रैक्टर से स्टंट के कारण एक किसान की मौत भी हुई, जिस पर राजदीप सरदेसाई जैसों ने फेक न्यूज़ फैलाया।
जबकि, ‘किसान गर्जना रैली’ में पर्यावरण और स्वास्थ्य की सुरक्षा की लाभ क्रांति कैसे काम करती है? बातें की जा रही थीं, प्रकृति की बात हो रही लाभ क्रांति कैसे काम करती है? थी। आक्रोश यहाँ भी था, केंद्र सरकार का विरोध यहाँ भी हो रहा था – लेकिन, किसी खास पार्टी के प्रति दुर्भावना नहीं थी। टिकरी बॉर्डर बंगाल की युवती से गैंगरेप हुआ और इस खबर को दबाने की भी भरसक कोशिश हुई। महिला पत्रकारों के साथ बदसलूकी हुई। वहीं ‘किसान गर्जना रैली’ में हर उम्र की महिलाएँ विरोध प्रदर्शन में शामिल नज़र आईं और स्वच्छंद होकर अपनी परंपरा का प्रदर्शन करती भी दिखीं।
एक वो ‘किसान’ थे जिन्होंने गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में घुस कर 300 पुलिरकमियों को घायल कर दिया था और राम मंदिर की झाँकी को नुकसान पहुँचाया था। एक ये किसान हैं, जो आए, सरकार के सामने अपनी माँगें रखी, प्रदर्शन कर के आक्रोश जताया और फिर लौट गए। अहिंसा, लोकतंत्र और शांति की बात की। एक वो ‘किसान’ थे, जिन्होंने सड़क और सार्वजनिक स्थानों पर लाभ क्रांति कैसे काम करती है? कब्ज़ा किया था। जिन्होंने ‘किसान’ शब्द को गाली बनाने के लिए हर वो चीज की जो एक किसान नहीं करता।
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भारत में क्वांटम कम्प्यूटिंग: क्वांटम सर्वोच्चता कैसे लाभ क्रांति कैसे काम करती है? प्राप्त करें?
हम यह लेख – ‘भारत में क्वांटम कंप्यूटिंग’ क्यों पढ़ रहे हैं।
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