दास ने कहा कि भारतीय वित्तीय क्षेत्र जुझारू बना हुआ है और काफी बेहतर स्थिति में है।
संसद टीवी संवाद
क्रिप्टोकरेंसी वर्तमान वित्तीय दुनिया में हो रहे बहुत सारे तकनीकी परिवर्तनों में से एक का उदाहरण है और अब नई चुनौतियों को स्वीकार करने के साथ-साथ प्रतिभूति बाज़ार सहित मुद्रा बाज़ारों के लिये एक नए एकीकृत विनियमन की अनुमति देने का मौका क्रिप्टो करेंसी कब बनी? है।
यह डिजिटल तकनीक में एक नई क्रांति पैदा कर सकती है जिसे भारत खोना नहीं चाहेगा, लेकिन साथ ही वह आंतरिक सुरक्षा और अन्य संबंधित मुद्दों को लेकर भी जोखिम नहीं उठा सकता है।
क्रिप्टो बैन: सही कदम या भूल
भारत में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चर्चा हरेक की जुबान पर है भले ही उसने इसमें कभी निवेश किया हो या नहीं. अब सरकार क्रिप्टो करेंसी कब बनी? इस पर कानून लाने वाली है, लेकिन यह काम भी बड़ा उलझन भरा है. जाानिए क्यों?
भारतीय संसद के इस हफ्ते शुरू हुए शीतकालीन सत्र की खास बात कृषि या विकास संबंधी परियोजनाएं न होकर एक ऐसी करेंसी या मुद्रा रही जो न देखी जा सकती है, न छुई जा सकती है और जिसकी कीमत तेजी से घटती-बढ़ती रहती है. इसे क्रिप्टोकरेंसी या क्रिप्टो करेंसी कब बनी? डिजिटल करेंसी कहते हैं, जिस पर सरकार या बैंक का नियंत्रण नहीं होता है. यह करेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर बनी होती है, जो किसी डेटा को डिजिटली सहेजता है.
अब जो करेंसी किसी के नियंत्रण में नहीं है, उस पर सरकार कानून कैसे ला सकती है? इसका जवाब हां और ना दोनों है. भले ही सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई कानून न बनाया हो, लेकिन भारत का आयकर विभाग क्रिप्टो निवेश पर होने वाली इनकम पर टैक्स लेता है. हालांकि क्रिप्टो टैक्स के नियम ज्यादा साफ नहीं हैं, लेकिन अगर किसी निवेश पर टैक्स लिया जा रहा है तो इसका मतलब है कि सरकार उसे आय का स्रोत मान रही है.
नुकसानदेह हो सकता है सरकार का रवैया
सरकार की यह हिचक लंबे अर्से में नुकसान ही कराएगी क्योंकि कई छोटे-बड़े देशों ने क्रिप्टोकरेंसी को पेमेंट का माध्यम मान लिया है. मसलन, अमेरिका स्थित दुनिया के सबसे बड़े मूवी थिएटर चेन एएमसी ने कुछ क्रिप्टोकरेंसी से पेमेंट किए जाने को मंजूरी दे दी है. वहीं, कोरोना महामारी से बुरी तरह तबाह हो चुके टूरिज्म बिजनेस को दोबारा खड़ा करने के लिए थाइलैंड ने क्रिप्टो निवेशकों का स्वागत करते हुए कहा है कि वे उनके यहां आकर क्रिप्टो के जरिए सामान खरीद सकते हैं.
प्राइवेट बैंकों ने तो एटीएम भी लगा रखा हैतस्वीर: Christian Beutler/picture alliance/KEYSTONE/dpa
हालांकि, भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को एसेट क्लास यानि स्टॉक, बॉन्ड जैसा मानने को तैयार दिख रही है. इसका मतलब है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी न मानकर निवेश का माध्यम मानने को तैयार है. संसद की ओर से जारी बुलेटिन की एक अन्य टिप्पणी भी भ्रम पैदा करने वाली है. सरकार ने कहा है कि वह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा देगी. यह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी आखिर है क्या? सरकार ने इसे लेकर कोई व्याख्या नहीं दी है. क्रिप्टो जगत में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी जैसी कोई चीज होती ही नहीं है क्योंकि सारी क्रिप्टोकरेंसी ‘प्राइवेट' ही हैं, ‘पब्लिक' या सरकार के नियंत्रण में तो हैं नहीं.
ब्लॉकचेन तकनीक से परहेज नहीं
एक अन्य मुद्दा जिस पर सरकार का रुख कन्फ्यूज कर रहा है वह है डिजिटल रुपये. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को ब्लॉकचेन तकनीक भा गई है क्योंकि इसकी वजह से रिकॉर्ड को सहेजना और करेंसी को जारी करना आसान है. सरकार को भले क्रिप्टोकरेंसी से दिक्कत हो, लेकिन वह खुद रुपये को डिजिटली जारी क्रिप्टो करेंसी कब बनी? करना चाहती है. यानि हो सकता है कि भारतीय रुपया जल्द ही बिटकॉइन या डॉजकॉइन की तरह डिजिटल हो जाए.
हाल के दिनों में सरकार के रवैये ने आम भारतीय क्रिप्टो निवेशकों को खूब छकाया. भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे वजीरएक्स और कॉइनडीसीएक्स पर निवेशकों ने जल्दबाजी में अपनी करेंसी बेच डाली. पुराने और मंझे हुए क्रिप्टो निवेशकों ने इसका फायदा उठाया और गिरे क्रिप्टो करेंसी कब बनी? हुए भाव पर दाव लगाकर क्रिप्टोकरेंसी को अपनी झोली में डाल लिया. ऐसा ही होता है क्रिप्टोकरेंसी बाजार में, जहां कीमत के गिरने का इंतजार क्रिप्टो करेंसी कब बनी? कर रहे निवेशक झट से पैसे लगाकर प्रॉफिट लेकर चले जाते हैं.
कंपनियों को सरकार के फैसले का इंतजार
भारत में स्थित क्रिप्टो कंपनियां फिलहाल सरकार के बिल लाने का इंतजार कर रही हैं. वह कई वर्षों से सरकार के साथ बातचीत कर रही थीं क्योंकि उन्हें मालूम है कि रेगुलेशन और कानून आने से उन्हीं का फायदा होगा और क्रिप्टो को लेकर आम लोगों में विश्वास जगेगा. यही वजह है कि क्रिप्टो बिल को लेकर तमाम अटकलों के बावजूद अरबों की संपत्ति वाला क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनडीसीएक्स अब अपना आईपीओ शेयर बाजार में लाने वाला है. आईपीओ के जरिए उसे विस्तार मिलेगा और वह आम लोगों में अपने शेयर बेचकर धन की उगाही कर सकेगा.
कई देशों में बिटकॉइन के प्रचार की कोशिशें हो रही हैंतस्वीर: Salvador Melendez/AP Photo/picture alliance
भारत को लेकर बड़ी कंपनिया आश्वस्त हैं कि यहां चीन की तरह क्रिप्टो पर बैन लगाकर तानाशाही नहीं चलेगी. एनालिटिक फर्म चेनएनालिसिस ने भी भारत को क्रिप्टो का हब करार दिया है, जो बिना किसी गाइडलाइंस के देश ने हासिल किया है. यह बड़ी उपलब्धि है और सरकार को इसे गंवाना नहीं चाहिए.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की बड़ी चेतावनी, कहा-‘क्रिप्टो से आएगा अगला वित्तीय संकट’
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को चेतावनी दी कि अगला वित्तीय संकट निजी क्रिप्टोकरेंसी से आएगा और कहा कि उनका अभी भी विचार है कि क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में अंतर्निहित आर्थिक गतिविधि मजबूत बनी हुई क्रिप्टो करेंसी कब बनी? क्रिप्टो करेंसी कब बनी? है, लेकिन बाहरी कारकों से अर्थव्यवस्था को कुछ नुकसान होगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई क्रिप्टो करेंसी कब बनी? इनसाइट समिट में बोलते हुए दास ने कहा कि उन निजी क्रिप्टोकरेंसी का कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है और व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करता है।
उन्होंने कहा, “मेरे शब्दों को चिह्नित करें, अगला वित्तीय संकट निजी क्रिप्टोकरेंसी से आएगा … एफटीएक्स प्रकरण के बाद, हमें क्रिप्टो पर कुछ और कहने की आवश्यकता नहीं है।” उन्होंने इवेंट में बोलते हुए चेतावनी दी कि क्रिप्टो का कुल मूल्य $140 बिलियन पर नीचे आ गया है और $40 बिलियन का सफाया हो गया।
जरुरी जानकारी | दास ने चेताया, अगले वित्तीय संकट की वजह बन सकती है निजी किप्टोकरेंसी
मुंबई, 21 दिसंबर निजी क्रिप्टोकरेंसी जैसे सट्टेबाजी के साधनों को अगर बढ़ने की इजाजत दी गई, तो ये अगले वित्तीय संकट की वजह बन सकते हैं। भारतीय रिजर्व क्रिप्टो करेंसी कब बनी? बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को यह चेतावनी दी।
उन्होंने साथ ही बिटकॉइन जैसे साधनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की। दास ऐसे साधनों के प्रबल विरोधी रहे हैं और आरबीआई इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय तक गया है।
उन्होंने यहां ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘बीएफएसआई इनसाइट समिट 2022’ में कहा, ‘‘क्रिप्टोकरेंसी. में व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता से जुड़े बड़े जोखिम शामिल हैं और हम इस बारे में हमेशा बताते रहे हैं।’’
RBI Digital Currency: देश में जल्द शुरू होगी डिजिटल करेंसी, थोक और खुदरा क्रिप्टो करेंसी कब बनी? क्षेत्रों के लिए चरणबद्ध तरीके से हो रहा है काम
RBI Digital Currency सरकार से क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने के साथ ही आरबीआइ अपनी डिजिटल करेंसी को जल्द से जल्द बाजार में उतारने की तैयार में है। उम्मीद की जा रही है कि 2023 में इसकी शुरुआत हो जाएगी।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा योजना (Central Bank Digital Currency) को चरणबद्ध तरीके से थोक और खुदरा क्षेत्र में लागू करने की प्रक्रिया में है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के कार्यकारी निदेशक (फिनटेक) अजय कुमार चौधरी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को यह जानकारी दी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट 2022-23 में सीबीडीसी (CBDC) को शुरु करने की घोषणा की गई थी। वित्त विधेयक 2022 में इसके लिए आरबीआई अधिनियम, 1934 के जरूरी भागों में आवश्यक संशोधन का प्रस्ताव किया गया है।
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