म्यूच्यूअल फंड कैसे काम करता हैं
जब भी हम धन बचाने के बारे में सोचते है, तो हमारे दिमाग़ में बैंक में जमा खाता, योजनाएं, RD ओर FD जैसी बहुत सारी धन बचत योजना घूमती हैं| लेकिन आजकल के समय में अपनी पूंजी की सरहाना करने के और कम समय में अधिक बचत के लिए विभिन्न स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना प्रकार की योजनाएं हैं,जिसमें एक निवेश विकल्प हैं जिसमें निवेश करके आप कम जोखिम में अपने धन की एक अच्छी कीमत ले सकते हैं | यह म्यूचुअल फंड हैं, जो आपको आपकी भविष्य निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करते हैं|
म्यूचुअल फंड विभिन्न प्रकार के निवेश स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना स्टॉक या बॉन्ड से भरी टोकरी हैं, जो लोगों को व्यक्तिगत प्रतिभूतियों को चुनने के जोखिम को कम करते हुए निवेश करने की अनुमति देते हैं।
म्यूचुअल फंड कैसे काम करता हैं
निवेशक म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं- म्यूचुअल फंड निवेशों का एक संग्रह है,म्यूचुअल फंड आपके पैसे को अन्य निवेशकों के पैसे के साथ जोड़कर और अन्य परिसंपत्तियों के पोर्टफोलियो (जैसे, स्टॉक, बॉन्ड) में निवेश करके काम करता हैं। इसका मतलब है कि आप उन पोर्टफोलियो में निवेश करने में सक्षम होंगे जो आप अकेले नहीं कर पाएंगे क्योंकि आप अन्य निवेशकों के साथ निवेश कर रहे हैं म्यूचुअल फंड आमतौर पर एक फंड मैनेजर द्वारा प्रबंधित होते हैं, जो पोर्टफोलियो में किये गए निवेशों को चुनता हैं|
म्यूचुअल फंड एक ऐसी कंपनी है- जो निवेशकों के कई प्रकार के निवेश करने के लिए निवेशकों के पैसे को पूल करती है, जिसे पोर्टफोलियो के रूप में जाना जाता है। स्टॉक, बॉन्ड और मनी मार्केट फंड में निवेश करते हैं, जो म्यूचुअल फंड बनाता हैं। निवेश किए गए पैसे का उपयोग म्यूचुअल फंड यूनिट खरीदने के लिए किया जाता है|
म्यूचुअल फंड में निवेश का प्रबंधन म्यूचुअल फंड आमतौर पर एक फंड मैनेजर द्वारा प्रबंधित किया जाता स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना है, जो पोर्टफोलियो में सभी निवेशों को चुनता है। यह अक्सर शुरुआती निवेशकों जिनके पास बहुत अधिक अनुभव नहीं होता है ,एक पोर्टफोलियो मैनेजर जो कि एक्सपेर्ट हैं ,वे दिन-प्रतिदिन प्रतिभूतियों के आधार पर फंड का प्रबंधन करते हैं, ओर यह तय करते हैं कि फंड के निवेश के उद्देश्यों के अनुसार कब और कैसे बेचना ओर खरीदना है।
क्योंकि ये फंड मैनेजर सक्रिय (active)रूप से आपके पैसे का प्रबंधन करते हैं, आप कभी-कभी म्यूचुअल फंड को "सक्रिय रूप से प्रबंधित फंड के रूप में संदर्भित(refer) करते हैं।
म्यूचुअल फंड एक पेशेवर निवेश प्रबंधक द्वारा प्रबंधित किया जाता है जो फंड के सबसे प्रभावी विकास के लिए प्रतिभूतियों को खरीदता है और बेचता है। म्यूचुअल फंड निवेशक के रूप में, आप म्यूचुअल फंड कंपनी के "शेयरधारक" बन जाते हैं। जब मुनाफा होगा तो आप लाभांश अर्जित करेंगे। जब नुकसान होते हैं, तो आपके शेयर मूल्य में कमी आएंगे।और अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो म्यूचुअल फंड मैनेजर कि भूमिका महत्वपूर्ण है।
आप अपने धन को उनके कोष में रखकर अनिवार्य रूप से निवेश कर रहे हैं। उनके पास आपके लिए एक अच्छा काम करने के लिए प्रोत्साहन का बहुत कुछ है, क्योंकि उनकी नौकरियां शाब्दिक रूप से इस बात पर निर्भर करती हैं कि फंड कितना अच्छा प्रदर्शन करते हैं। अगर वे अच्छा काम करते हैं तो उन्हें बढ़िया बोनस भी मिलता है।
यदि मूल्य में वृद्धि हुई है- ओर पेशावर या निवेशक फंड प्रतिभूतियों को बेचता है, तो फंड का पूंजीगत लाभ होता है। अधिकांश धनराशि निवेशकों को वितरण में इन लाभों पर भी जाती है। यदि फंड होल्डिंग्स की कीमत में वृद्धि होती है लेकिन फंड मैनेजर द्वारा नहीं बेची जाती है, तो फंड के शेयरों की कीमत बढ़ जाती है। फिर आप बाजार में अधिक लाभ के लिए अपने म्यूचुअल फंड शेयर बेच सकते हैं।
म्यूचुअल फंड पर पैसा बनाने के 2 तरीके
पूंजीगत लाभ - यदि आप इसके लिए भुगतान किए गए से अधिक के लिए अपना म्यूचुअल फंड बेचते हैं, तो आपके पास पूंजीगत लाभ होगा। यदि आप अपने म्यूचुअल फंड को इसके लिए भुगतान किए गए से कम पर बेचते हैं, तो आपको पूंजीगत नुकसान होगा।
वितरण - आपके द्वारा खरीदे जाने वाले फंड के प्रकार के आधार पर, आप लाभांश, ब्याज, पूंजीगत लाभ या अन्य आय के भी प्राप्त कर सकते हैं जो फंड अपने निवेश पर कमाता है। आप नकद में वितरण प्राप्त करना चुन सकते हैं या उन्हें आपके लिए निधि में पुनर्निवेशित कर सकते हैं। जब तक आप वितरण को नकद में भुगतान करने के लिए नहीं कहते हैं, तब तक म्यूचुअल फंड आमतौर पर आपके लिए वितरण को फिर से संगठित करेगा।
विविधीकरण के उपयोग के माध्यम से कम पोर्टफोलियो जोखिम प्राप्त किया जाता है, क्योंकि अधिकांश म्यूचुअल फंड 50 से 200 विभिन्न प्रतिभूतियों में कहीं भी निवेश करेंगे - यह फोकस पर निर्भर करता है। कई स्टॉक इंडेक्स म्यूचुअल फंड 1,000 या अधिक व्यक्तिगत स्टॉक पदों के मालिक हैं।
म्यूचुअल फंड के लाभ
- सरलता- म्यूचुअल फंड्स को खरीदना ओर समझना आसान है| म्युचुअल फंड में कम से कम निवेश होता है म्युचुअल फंड में निवेश करने के लिए अर्थशास्त्र, वित्तीय वक्तव्यों या वित्तीय बाजारों के अनुभव या ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है।
- विविधीकरण- म्युचुअल फंड में व्यापक बाजार एक्सपोजर होता है| म्यूचुअल फंड दर्जनों, सैकड़ों, या यहां तक कि हजारों विभिन्न निवेश प्रतिभूतियों में निवेश कर सकता है, जिससे केवल एक फंड में निवेश करके विविधीकरण प्राप्त करना संभव हो जाता है। हालांकि, यह कई अलग-अलग म्यूचुअल फंडों में विविधता लाने के लिए स्मार्ट है।
- अफोर्डेबिलिटी- अधिकांश म्यूचुअल फंड में निवेश कि शुरुआत 500 और 100 रुपए से भी की जा सकती हैं। कई मामलों में, निवेशक एक व्यवस्थित निवेश कार्यक्रम शुरू कर सकते है।
- लचीलापन- म्यूचुअल फंड के कई उपयोग और अनुप्रयोग हैं, म्यूचुअल फंड के उपरोक्त सभी लाभ सरलता और लचीलेपन में ओवरलैप होते हैं। आप सिर्फ एक फंड में निवेश कर सकते हैं या एक विस्तृत विविधता में निवेश कर सकते हैं।
- टैक्स फ्री
यदि आप एक पंजीकृत योजना में अपने म्युचुअल फंडों को रखते हैं,आप कर का भुगतान नहीं करते हैं, जब तक आप उस पैसे को योजना में शामिल करते हैं, तब आप जो पैसा कमाते हैं। जब योजना से पैसा निकाला जाता है, तो उस आय के रूप में थोड़ा कर लगाया जाता हैं।
जल्द आप शेयरों की तरह बॉन्ड भी खरीद सकेंगे, SEBI बना रहा नियम और कानून
बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स को स्टॉक ब्रोकर्स (डेट सेगमेंट) की तरह सेबी के पास रजिस्टर्ड होना पड़ेगा या उन्हें सेबी-रजिस्टर्ड ब्रोकर्स की तरह काम करना होगा। इससे इनवेस्टर्स खासकर नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स का भरोसा बढ़ेगा
सेबी (SEBI) ने गुरुवार को ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स (Online Bond Platforms) के रेगुलेशन के लिए फ्रेमवर्क का प्रस्ताव पेश किया है।
सेबी (SEBI) ने गुरुवार को ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स (Online Bond Platforms) के रेगुलेशन के लिए फ्रेमवर्क का प्रस्ताव पेश किया है। ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स पर लिस्टेड बॉन्ड्स की बिक्री होती है। आइए जानते हैं मार्केट रेगुलेटर सेबी के इस प्रस्ताव में क्या है।
इसमें कहा गया है कि बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स को स्टॉक ब्रोकर्स (डेट सेगमेंट) की तरह सेबी के पास रजिस्टर्ड होना पड़ेगा या उन्हें सेबी-रजिस्टर्ड ब्रोकर्स की तरह काम करना होगा। इससे इनवेस्टर्स खासकर नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स का भरोसा बढ़ेगा।
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स्टॉक-ब्रोकर के रेगुलेशन इन इंटिटीज (बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स) पर लागू होंगे। उनके कामकाज से जुड़े सभी पहलू, कोड ऑफ कंडक्ट और रिस्क मैनेजमेंट इसके तहत आएंगे। सेबी के प्रस्ताव में कहा गया है, " सिर्फ लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स की तरफ से खरीद-बिक्री के लिए ऑफर किए जाएंगे।
अगर बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स पर प्राइवेट प्लेसमेंट के आधार पर डेट सिक्योरिटीज की लिस्टिंग होती है तो उनमें छह महीने का लॉक-इन पीरियड होगा। लॉक-इन पीरियड डेट सिक्योरिटीज की अलॉटमेंट की तारीख से शुरू होगा।
सेबी ने कहा है कि ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स के कामकाज के लिए नियम और कानून बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है। इसका मकसद ट्रेडिंग को आसान और पारदर्शी बनाने के साथ ही इनवेस्टर्स खासकर नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स के हितों की सुरक्षा है।
सेबी के प्रस्ताव में कहा गया है कि ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स पर होने वाले ट्रांजेक्शन एक्सचेंज के डेट सेगमेंट के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म या एक्सचेंज के रिक्वेस्ट फॉर कोट (RFQ) प्लेटफॉर्म के जरिए रूट किए जाने चाहिए। इसमें डिलीवरी वर्सेज पेमेंट (DVP-1) बेसिस पर ट्रांजेक्शन क्लियर और सेटल किए जाएंगे।
एक्सचेंज के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से ट्रेड रूट किए जाने से सेटलमेंट रिस्क को घटाने में मदद मिलेगी। इसकी वजह यह है कि इन ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स पर T+2 (ट्रेडिंग प्लस टू) के आधार पर सेटलमेंट की गारंटी होती है। इससे इनवेस्टर्स को एग्जिट अपॉर्चुनिटी मिलेगी। साथ ही इनवेस्टर्स की शिकायतों का भी निपटारा हो सकेगा।
सेबी का मानना है कि उसके (सेबी) के नियमों के तहत बतौर स्टॉक ब्रोकर्स बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स के रजिस्ट्रेशन से मार्केट और मार्केट पार्टिसिपेंट्स को फायदा होगा। इसकी वजह यह है कि बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स पर क्लाइंट्स के रजिस्ट्रेशन के लिए KYC अनिवार्य होगा।
MoneyControl News
First Published: Jul 22, 2022 9:49 AM
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Gold Bond Scheme 2022-23: कल तक खरीद सकते हैं सस्ता सोना, मिल रही छूट, जानिए पूरी डिटेल
Gold Bond Scheme: स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना गोल्ड बाॅन्ड में निवेश करना ज्यादा सुरक्षित होता है। फिजिकल गोल्ड में चोरी का डर बना रहता है। वहीं उसकी प्योरिटी और सेफ लॉकर की कमी जैसी दिक्कतें हमेशा बनी रहती है। 26 अगस्त 2022 को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में निवेश करने का आखिरी मौका है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए पेमेंट कैश, डिमांड ड्राफ्ट या इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग के जरिये किया जा सकता है
हाइलाइट्स
- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को खरीदने का विन्डो 22 अगस्त से खोला गया था
- ऑनलाइन पेमेंट करते हैं तो आरबीआई 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट दे रहा है
- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को स्टॉक एक्सचेंज में आसानी से ट्रेड कर सकते हैं
निवेश करना अधिक सुरक्षित
इसमें फिजिकल गोल्ड की तरह सेफ स्टोरेज का झंझट नहीं रहता है। गोल्ड बाॅन्ड (Gold Bond) में निवेश करना ज्यादा सुरक्षित होता है। फिजिकल गोल्ड में चोरी का डर बना रहता है। वहीं उसकी प्योरिटी और सेफ लॉकर की कमी जैसी दिक्कतें हमेशा बनी रहती है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को स्टॉक एक्सचेंज में आसानी से ट्रेड कर सकते हैं। गोल्ड खरीदने में कोई जीएसटी और मेकिंग चार्ज नहीं लगता है।
यहां से कर सकते हैं खरीदारी
योजना के तहत गोल्ड बॉन्डों की खरीद डाकघरों, कमर्शियल बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और मान्यता प्राप्त एक्सचेंजों जैसे बीएसई, एनएसई के अलावा एजेंटों के जरिये की जा सकती है।
8 साल है लाॅक-इन की अवधि
इसमें 8 साल की लॉक-इन अवधि होगी। इसमें 5वें साल से रिडेम्प्शन का मौका मिलेगा। इस विकल्प का लाभ उस तारीख को उठाया जा सकता है जब ब्याज देय होगा। एक व्यक्ति 4 किलो तक के लिए निवेश कर सकता है। एचयूएफ और ट्रस्टों के लिए यह सीमा 20 किलो है। कम से कम 1 ग्राम से निवेश की शुरुआत हो सकती है।
ये लोग कर सकते हैं निवेश
ये गोल्ड बॉन्ड सरकार की ओर से आरबीआई जारी करेगा। यह व्यक्तियों, चैरिटेबल संस्थानों, ट्रस्टों और हिंदू अविभाजित परिवारों के लिए उपलब्ध है। ये लोग योजना के तहत गोल्ड में निवेश कर सकते हैं।
इस तरह कर सकते हैं भुगतान
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए पेमेंट कैश, डिमांड ड्राफ्ट या इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग के जरिये किया जा सकता है। लेकिन अगर आप कैश में पेमेंट करना चाहते हैं तो अधिकतम 20 हजार रुपये का ही भुगतान कर सकते हैं। गवर्नमेंट सिक्योरिटी एक्टए 2006 के तहत गोल्ड बॉन्डों को सरकारी स्टॉक के तौर पर जारी किया जाएगा। इसके लिए निवेशकों को सर्टिफिकेट ऑफ होल्डिंग जारी किया जाएगा। एसजीबी को डीमैट फॉर्म में बदला जा सकेगा।
स्टॉक या बॉन्ड में सीधे निवेश न करके म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश क्यों करें?
जब आप म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश करते हैं तो आप स्टॉक, बॉन्ड या अन्य निवेशों में पेशेवर मैनेजरों की सहायता से अप्रत्यक्ष रूप से निवेश करते हैं। खुद से इस काम को करने के स्थान पर आप एक छोटा शुल्क देते हैं और फंड मैनेजमेंट कंपनी की सेवाएं लेते हैं। इन सेवाओं में न केवल विभिन्न निवेशों के शोध, चयन और खरीद-बिक्री शामिल है, जिनके लिए योग्य फंड मैनेजर होते हैं बल्कि निवेश जैसे काम के लिए लेखा और प्रशासनिक गतिविधियां भी शामिल होती हैं जिसे बहुत से लोग करना पसंद नहीं भी कर सकते हैं।
Sovereign Gold Bond Scheme: नये साल में पहली बार सस्ता सोना खरीदने का मौका, बेच रही है सरकार
अगर आप मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के शुभ अवसर पर निवेश की योजना बना रहे हैं, तो आप भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सॉवरेन गोल्ड बांड स्कीम (Sovereign Gold Bond Scheme) में इन्वेस्ट कर सकते हैं. सस्ते में सोना खरीदने का मौका देने वाली ये स्कीम एक बार फिर सोमवार से खुलने जा रही है. जानें पूरी डिटेल.
सॉवरेन गोल्ड बांड स्कीम 2021-22 की इस बार की सीरीज के लिए प्रति ग्राम सोने का दाम 4,786 रुपये रखा गया है. तय किया गया है. डिजिटल पेमेंट करने वालों को प्रति ग्राम 50 रुपये का डिस्काउंट मिलेगा और उन्हें ये बांड प्रति ग्राम 4,736 रुपये का पड़ेगा.
आरबीआई ने शुक्रवार को साफ किया कि इस बार की Sovereign Gold Bond Scheme सोमवार यानी 10 जनवरी 2022 से लेकर 14 जनवरी 2022 तक खुली रहेगी. इस तरह मकर संक्रांति के मौके पर आप सस्ते सोने में निवेश कर सकते हैं. वहीं इस सीरीज के बांड 18 जनवरी को जारी होंगे.
निवेश के लिए सोने की खपत और देश में इसके आयात को कम करने के लिए RBI ने नवंबर 2015 में Sovereign Gold Bond Scheme शुरू की थी. RBI भारत सरकार की ओर से हर वित्त वर्ष में इसकी कई सीरीज जारी करती है. हर सीरीज के लिए उस समय के सोने के दाम के अनुरूप गोल्ड बांड का दाम तय किया जाता है.
कोई व्यक्ति एक बार स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना में 1 ग्राम से शुरू करके कुल 4 किलोग्राम तक के मूल्य के बराबर Sovereign Gold Bond खरीद सकता है. हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) के लिए भी ये लिमिट 4 किलोग्राम है, जबकि ट्रस्ट इत्यादि के लिए 20 किलोग्राम है.
Sovereign Gold Bond का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल होता है. जबकि 5 साल का लॉक-इन पीरियड है. अगर आपको उससे पहले इसे भुनाना है तो आप इसे स्टॉक मार्केट में ट्रेड कर सकते हैं. इस बांड पर आपको 2.5% का ब्याज मिलता है साथ में बांड भुनाने के वक्त जो सोने का मूल्य होता है उसके हिसाब से इसका दाम मिलता है.
स्मॉल फाइनेंस बैंक और पेमेंट्स बैंक को छोड़कर बाकी अन्य सभी बैंक से Sovereign Gold Bond की खरीद की जा सकती है. इसके अलावा स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, चुनिंदा डाकघर, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बीएसई से भी इनकी खरीद की जा सकती है.
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