2022 के सभी प्रमुख सूचकांक | India's rank in various index 2022 list

वैश्विक सूचकांको से प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न अवश्य पूछे जाते हैं जो कि परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। वैश्विक सूचकांक 2022 से एक या दो प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अवश्य ही देखने को मिलेगा।

वर्ष 2022 में जारी किए गए विभिन्न सूचकांक में भारत का स्थान

विश्व की विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रतिवर्ष अनेक सूचकांक प्रकाशित किए जाते हैं। उनमें विश्व के विभिन्न देशों को उनके प्रदर्शन के आधार पर रैंकिंग प्रदान की जाती है। इस आलेख में हम ऐसे ही कुछ सूचकांकों की चर्चा करेंगे और उन सूचकांकों में भारत की स्थिति का आकलन करेंगे।

विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2022

  • स्विट्जरलैंड की एक प्रदूषण तकनीकी कंपनी ‘आई क्यू एअर’ (I Q Air) ने 22 मार्च 2022 को यह रिपोर्ट जारी की थी। इस कंपनी ने वर्ष 2021 में विश्व के विभिन्न देशों से वायु गुणवत्ता से संबंधित आंकड़े एकत्रित किए थे। उन्हीं एकत्रित आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट जारी की गई है।
  • स्विट्जरलैंड की इस प्रदूषण तकनीकी कंपनी ने विश्व के 6,475 शहरों का सर्वेक्षण किया था और यह डाटा एकत्रित किया था।
  • इस रिपोर्ट में यह पाया गया कि विश्व के 93 शहरों में पी एम 2.5 का स्तर निर्धारित किए गए स्तर से 10 गुना अधिक है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, विश्व का सबसे प्रदूषित बांग्लादेश देश है, जबकि विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानी भारत की राजधानी ‘नई दिल्ली’ है। इस रिपोर्ट में ‘भिवाड़ी’ को विश्व का सबसे प्रदूषित शहर बताया गया है। उल्लेखनीय है कि ‘भिवाड़ी’ भारत के राजस्थान राज्य के अलवर जिले में स्थित एक औद्योगिक शहर प्रमुख वैश्विक सूचकांक है।
  • ‘वायु गुणवत्ता रिपोर्ट, 2021’ के अनुसार, विश्व के शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित देश हैं- बांग्लादेश, चाड, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, भारत, ओमान, किर्गिस्तान, बहरीन, इराक और नेपाल। उल्लेखनीय है कि विश्व के शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित देशों में से 9 देश एशिया महाद्वीप के हैं, जबकि एक देश ‘चाड’ अफ्रीका महाद्वीप का है।

विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट 2022

  • ‘विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट’ संयुक्त राष्ट्र संघ की एक संस्था ‘संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समाधान नेटवर्क’ (UNSDSN) द्वारा जारी की जाती है। इस रिपोर्ट के अंतर्गत विश्व के विभिन्न देशों में सर्वेक्षण करके यह पता लगाया जाता है कि वहां की जनसंख्या की प्रसन्नता का स्तर क्या है।
  • ‘संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समाधान नेटवर्क’ द्वारा जारी की गई वर्ष 2022 की यह रिपोर्ट अब तक का इसका 10 वाँ संस्करण है। इस रिपोर्ट के 2022 के 10 वें संस्करण में कुल 146 देशों को शामिल किया गया है।
  • ‘विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट, 2022’ में यूरोपीय देश फिनलैंड को पहले स्थान पर रखा गया है, जबकि इस रिपोर्ट में अफगानिस्तान को अंतिम स्थान दिया गया है। इसका अर्थ यह है कि विश्व में फिनलैंड के लोग सबसे खुश हैं, जबकि जबकि अफगानिस्तान के लोग सबसे दुखी हैं। इस रिपोर्ट में भारत को 146 देशों में से 136 वें स्थान पर रखा गया है।

अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक 2022

  • यह सूचकांक संयुक्त राज्य अमेरिका के यूएस चेंबर ऑफ कॉमर्स के ग्लोबल इन्नोवेशन पॉलिसी सेंटर द्वारा जारी किया जाता है। वर्ष 2022 में अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक का 10 वाँ प्रमुख वैश्विक सूचकांक संस्करण जारी किया गया है।
  • इस सूचकांक को निर्मित करते समय विश्व के कुल 55 देशों में बौद्धिक संपदा अधिकारों का सर्वेक्षण किया गया था। इन 55 देशों में से संयुक्त राज्य अमेरिका को प्रथम स्थान प्रदान किया गया है, जबकि वेनेजुएला को अंतिम स्थान पर रखा गया है। इस सूचकांक में वर्ष 2022 में भारत को 43 वाँ स्थान प्रदान किया गया है।

हेनले पासपोर्ट सूचकांक 2022

  • हेनले पासपोर्ट सूचकांक ‘हेनले एंड पार्टनर्स’ नामक संस्था द्वारा जारी किया जाता है। यह सूचकांक किस बात की पड़ताल करता है कि कौन से देश का पासपोर्ट कितने सुविधाजनक तरीके से किसी अन्य देश में स्वीकार किया जाता है।
  • इस सूचकांक में जापान और सिंगापुर को संयुक्त रूप से प्रथम स्थान पर रखा गया है जबकि अफगानिस्तान को इस सूचकांक में अंतिम स्थान प्रदान किया गया है। वर्ष 2022 में जारी किए गए इस सूचकांक में भारत को 83 वें स्थान पर रखा गया है।
  • इस सूचकांक में विभिन्न देशों की रैंकिंग निर्धारित करते समय ‘इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन’ (IATA) द्वारा एकत्रित किए गए आंकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है।

भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक, 2021

  • जनवरी 2022 में भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2021 जारी किया गया था। यह सूचकांक जर्मनी के बर्लिन स्थित ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी किया जाता है। पहली बार यह सूचकांक वर्ष 1995 में जारी किया गया था।
  • इस सूचकांक के अंतर्गत विभिन्न देशों के सार्वजनिक क्षेत्र में मौजूद भ्रष्टाचार का आकलन किया जाता है। इस सूचकांक के नवीनतम जारी संस्करण में विश्व के कुल 180 देशों का आग्रह किया गया था।
  • वर्ष 2022 में जारी किए गए भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक, 2021 में डेनमार्क, न्यूजीलैंड और फिनलैंड को संयुक्त रूप से पहला स्थान दिया गया है। इसका आशय है कि इन देशों में वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार की मात्रा सबसे कम है।
  • इस सूचकांक में दक्षिण सूडान को अंतिम स्थान प्रदान किया गया है। इसका अर्थ है कि दक्षिण सूडान विश्व का सबसे ज्यादा भ्रष्ट देश है। इस सूचकांक में भारत को 180 देशों में से 85 वाँ स्थान प्रदान किया गया है।

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2022

  • पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक एक द्विवार्षिक सूचकांक है। इसे वर्ष 2002 से ‘विश्व आर्थिक मंच’ (WEF) द्वारा ‘येल सेंटर फॉर एन्वायरमेंटल लॉ एंड पॉलिसी’ और ‘कोलंबिया यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इंफॉर्मेशन नेटवर्क’ के सहयोग से जारी किया जा रहा है।
  • इसके अंतर्गत कुल 3 संकेतक शामिल किए जाते हैं। ये संकेतक हैं- पर्यावरण स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र जीवन शक्ति।
  • सूचकांक के अंतर्गत विश्व के कुल 180 देशों का आकलन किया गया था। इनमें से प्रथम स्थान पर डेनमार्क रखा गया है, जबकि आश्चर्यजनक रूप से भारत को इस सूचकांक में अंतिम 180 वाँ स्थान प्रदान किया गया है।
  • भारत सरकार ने इस सूचकांक को तथा इसकी मापन प्रणाली को सिरे से खारिज कर दिया है। भारत सरकार का मत है कि भारत द्वारा पर्यावरण की दिशा में अनेक सराहनीय कदम उठाए गए हैं, लेकिन इस सूचकांक में भारत के उन तमाम प्रयासों को नजरअंदाज कर दिया गया है।

इस प्रकार, हमने वर्ष 2022 में जारी किए गए कुछ प्रमुख वैश्विक सूचकांकों को तथा उन्हें जारी करने वाली संस्थाओं के बारे में जाना और उनमें भारत की स्थिति को भी समझा।

Global Hunger Index 2022:आखिर क्या है वैश्विक भूखमरी सूचकांक, क्यों पीछे रह जा रहा है भारत

Hunger Index

ग्लोबल हंगर इंडेक्स या वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2022 (GHE) में भारत बीते साल की 101वीं पायदान से फिसल कर अब 107वें क्रम पर आ गया है. कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्टहंगरलाइफ द्वारा संयुक्त रूप से जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स में देशों को उनके यहां भुखमरी की गंभीरता के आधार पर सूचिबद्ध किया जाता है. इस साल सूची में यमन सबसे आखिरी पायदान यानी 121वें क्रम पर है, तो शीर्ष पर यूरोपीय देश (European Countries) क्रोएशिया, एस्टोनिया और मॉन्टेंगरो आए हैं. एशियाई देशों की बात करें तो चीन (China) और कुवैत जीएचआई में शीर्ष पर विराजमान हैं. गौरतलब है कि भारत (India) ने पिछले साल भी अपनी रैंकिंग नीचे देख ग्लोबल हंगर इंडेक्स को ही खारिज कर दिया था.

आखिर है क्या ग्लोबल हंगर इंडेक्स
2000 से लगभग हर साल वैश्विक भुखमरी सूचकांक जारी किया जा रहा है. 2022 में इसका 15वां संस्करण जारी किया गया है. कम स्कोर से किसी देश को उच्च रैंकिंग मिलती है और भुखमरी दूर करने के पैमाने पर उसका प्रदर्शन बेहतर माना जाता है. भुखमरी को मापने का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत विकास लक्ष्यों में से एक '2030 तक प्रमुख वैश्विक सूचकांक शून्य भुखमरी' का शिखर हासिल करना है. यही वजह है कि कुछ उच्च आय वाले देशों में ग्लोबल हंगर इंडेक्स के लिए जीएचआई स्कोर की गणना नहीं की जाती है. आम बोलचाल में भूख को भोजन की कमी के रूप में लिया जाता है, लेकिन औपचारिक अर्थ में इसकी गणना व्यक्ति द्वारा किए जा रहे कैलोरी सेवन के स्तर को माप कर की जाती है. हालांकि जीएचआई ने भूख की इस संकीर्ण परिभाषा तक ही खुद को सीमित नहीं रखा है. इसके बजाय वह चार प्रमुख पैमानों पर किसी देश के भुखमरी दूर करने में उसके प्रदर्शन को आंकता है. इनमें से एक है भोजन में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी. इस तरह भुखमरी का एक समग्र खाका सामने आता है.

इन चार संकेतकों को आंकता है जीएचआई

  • कुपोषण, जो अपर्याप्त भोजन की उपलब्धता को दर्शाता है. इसकी गणना कुपोषित आबादी की गणना से निकाली जाती है. इसमें भी उन लोगों की गणना खासतौर पर शामिल है, जिनकी कैलोरी सेवन की मात्रा अपर्याप्त है.
  • चाइल्ड वेस्टिंग यानी भयंकर कुपोषण का पैमाना. इसे पांच साल से कम उम्र के ऐसे बच्चों की गणना करके निकाला जाता है, जिनका वजन उनकी लंबाई के सापेक्ष कम होता है.
  • चाइल्ड स्टंटिंग का पैमाना लगभग स्थायी कुपोषण को दर्शाता है. इसकी गणना पांच साल से कम उम्र के बच्चों से की जाती है, जिनका वजन उनकी उम्र के लिहाज से कम होता है.
  • बाल मृत्युदर वास्तव में अपर्याप्त पोषण और अस्वस्थ वातावरण को भी सामने लाती है. इसकी गणना पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्युदर से की जाती है. आंशिक तौर पर ये अपर्याप्त पोषण से होने वाली मौतों का मिश्रित आंकड़ा होता है.

प्रत्येक देश का डेटा का मानक 100 अंकों पर आधारित होता है और अंतिम गणना पहले और चौथे संकेतक के लिए 33.33 फीसदी और दूसरे और तीसरे संकेतक के लिए 16.66 फीसदी के स्कोर पर टिकी होती है. जिन देशों का स्कोर 9.9 के बराबर या इससे कम होता है, उन्हें भुखमरी के सूचकांक में 'कमतर' श्रेणी पर रखा जाता है. इसके विपरीत 20 से 34.9 स्कोर अर्जित करने वाले देशों को 'गंभीर' श्रेणी में रखा जाता है. 50 से ऊपर स्कोर वाले देशों को 'अत्यंत चिंताजनक' श्रेणी में रखा जाता है.

अन्य देशों की तुलना में भारत का स्कोर
भारत 29.1 स्कोर के साथ भुखमरी की 'गंभीर' श्रेणी वाले देशों में आता है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत अपने पड़ोसी देश नेपाल (81), पाकिस्तान (99), श्रीलंका (64) और बांग्लादेश (84) से भी निचले पायदान पर है. बीते कई सालों से भारत का जीएचआई स्कोर लगातार पेशानी पर बल डाल रहा है. 2000 में 38.8 स्कोर के साथ भारत में भुखमरी की 'अत्यंत चिंताजनक' स्थिति थी, तो 2014 में 28.2 के पैमाने पर रही. इसके बाद से तो भारत लगातार उच्च स्कोर ही प्राप्त करता आ रहा है. यद्यपि भारत चार संकेतकों पर लगातार कमतर प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन कुपोषण और चाइल्ड वेस्टिंग संकेतकों पर उसका प्रदर्शन सुधरा है. भारत की आबादी में कुपोषण का स्तर 2014 के 14.8 की तुलना में 2022 में 16.3 रहा है, तो पांच साल से कम उम्र के बच्चों में 2014 की 15.1 की दर 2022 में 19.3 पह पहुंच गई है.

2022 वैश्विक खाद्य सुरक्षा सूचकांक रिपोर्ट जारी

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2022 वैश्विक खाद्य सुरक्षा सूचकांक (Global Food Security Index – GFSI) रिपोर्ट ब्रिटिश साप्ताहिक ‘द इकोनॉमिस्ट’ द्वारा जारी की गई। 11वां वैश्विक खाद्य सुरक्षा सूचकांक तीसरे वर्ष के लिए वैश्विक खाद्य पर्यावरण में गिरावट दर्शाता है, जिससे खाद्य सुरक्षा को खतरा है। इस रिपोर्ट में, दक्षिण अफ्रीका ने अफ्रीका में सबसे अधिक खाद्य-सुरक्षित देश बनने के लिए ट्यूनीशिया को पीछे छोड़ दिया है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

झटकों के प्रति भेद्यता (Vulnerability to Shocks): वैश्विक खाद्य पर्यावरण बिगड़ रहा है, जिससे यह झटकों के प्रति संवेदनशील हो गया है। 2012 से 2015 तक वैश्विक खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई, जिसमें समग्र GFSI स्कोर में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालाँकि, संरचनात्मक चुनौतियों के कारण वैश्विक खाद्य प्रणाली का विकास धीमा हो गया है।

सामर्थ्य (Affordability): 2022 में, GFSI को अपने दो सबसे मजबूत स्तंभों – सामर्थ्य, और गुणवत्ता और सुरक्षा के गिरने के कारण नुकसान उठाना पड़ा। अन्य दो स्तंभों (उपलब्धता, और स्थिरता और अनुकूलन) में कमजोरी इस वर्ष के दौरान जारी रही। मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति में तेज वृद्धि, व्यापार की स्वतंत्रता में कमी और खाद्य सुरक्षा के लिए धन कम होने के कारण सामर्थ्य (शीर्ष-स्कोरिंग स्तंभ) नीचे चला गया।

खाद्य सुरक्षा अंतर को बढ़ाना: 2022 में, शीर्ष 10 प्रदर्शन करने वाले देशों में से 8 यूरोप में हैं, जिसमें फिनलैंड 83.7 के स्कोर के साथ शीर्ष पर है। इसके बाद आयरलैंड (81.7 स्कोरिंग) और नॉर्वे (80.5 स्कोरिंग) का स्थान है। इन देशों को GFSI के सभी 4 स्तंभों पर उच्च अंक प्राप्त हुए हैं। शीर्ष 10 सूची में गैर-यूरोपीय देश जापान और कनाडा हैं।

अफ्रीका का सबसे अधिक खाद्य-सुरक्षित देश: दक्षिण अफ्रीका, 59वें स्थान पर, अफ्रीका में सबसे अधिक खाद्य-सुरक्षित देश के रूप में पहचाना गया।

सवालों के घेरे में भुखमरी सूचकांक, किसी लकीर को मिटाने के बजाय बड़ी लकीर खींचने की जरूरत

निःसंदेह गरीब कल्याण अन्न योजना प्रधानमंत्री मैत्री वंदना योजना इंद्रधनुष पोषण अभियान आदि के तहत पोषण के स्तर को बढ़ाने हेतु अभी लंबा सफर तय किया जाना बाकी है लेकिन भारत की स्थिति उतनी गंभीर नहीं जितनी वैश्विक भुखमरी सूचकांक में दिखाई गई है।

डा. सुरजीत सिंह गांधी : कोई भी सांख्यिकीविद् या अर्थशास्त्री यह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होगा कि भारत गंभीर भुखमरी की स्थिति में है, लेकिन आयरलैंड और जर्मनी के गैर-सरकारी संगठनों द्वारा जारी वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत को अफ्रीकी देशों के साथ गंभीर भुखमरी की स्थिति में दिखाया गया है और यूक्रेन युद्ध, कोविड महामारी, जलवायु परिवर्तन और क्षेत्रीय संघर्षों से खाद्य कीमतों में वृद्धि और वैश्विक आपूर्ति शृंखला में व्यवधान आदि कारणों को वैश्विक स्तर पर भुखमरी बढ़ने का प्रमुख कारण बताया गया है।

खेल में इतना ही पर्याप्त नहीं कि आपने क्या हासिल किया, परंतु इसका भी महत्व है कि कैसे हासिल किया?

भारत ने हमेशा ही अपनी खाद्य प्रणाली को सर्वोच्च प्रथमिकता दी है। इसी कारण वह कोविड महामारी में प्रत्येक गरीब परिवार को भोजन उपलब्ध कराने में सफल रहा। इस दौरान सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की प्रशंसा पूरे संसार ने की है। आइएमएफ ने कहा है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के कारण 2020 में गरीब लोगों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।

इन परिस्थितियों में 2022 का वैश्विक भुखमरी सूचकांक स्वयं को ही संदेह के कठघरे में खड़ा करता है। उसकी रपट भविष्य में खाद्य संकट से निपटने के लिए सरकारों को अधिक न्याययंगत, समावेशी, टिकाऊ और लचीला बनाने का सुझाव देते हुए जिन नीतियों का प्रस्ताव करती है, वे सभी नीतियां पहले से ही भारत का हिस्सा हैं। इसके बावजूद यह सूचकांक म्यांमार को 71वां, पाकिस्तान को 99वां एवं श्रीलंका को 64वां और भारत को 107वां स्थान देता है।

ध्यान रहे कि पाकिस्तान विश्व बैंक के ऋण जाल में फंसा हुआ है और वहां महंगाई उच्चतम स्तर पर है। श्रीलंका के आर्थिक हालात इतने खराब हो चुके हैं कि 75 प्रतिशत लोगों के पास दो वक्त की रोटी के लिए पैसे नहीं हैं। भारत ने श्रीलंका को आर्थिक एवं खाद्यान्न मदद उपलब्ध करवाई है। ऐसे में भारत को गंभीर हालत की भुखमरी की श्रेणी में रखना गलत चित्र को प्रस्तुत करना है।

भारत सरकार ने भुखमरी सूचकांक तैयार करने की विधि को अवैज्ञानिक करार दिया है। महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय का तर्क है कि यह सूचकांक जिन चार मानकों पर आधारित है, उनमें से तीन मानक पांच वर्ष के बच्चों से संबधित हैं, इसलिए मात्र एक मानक द्वारा और वह भी केवल 3000 लोगों के सर्वे के आधार पर यह निष्कर्ष निकालना कि भारत गंभीर भुखमरी की स्थिति में है, असंगत है।

भुखमरी सूचकांक के सर्वे के दौरान एक प्रश्न यह पूछा गया कि ‘पिछले 12 महीनों में क्या कोई समय था, जब पैसे या अन्य संसाधनों की कमी के कारण आप इससे चिंतित थे कि आपके पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन न होगा या फिर आपने जितना सोचा, उससे कम खाया।’ ऐसे प्रश्नों के आधार पर किसी भी देश में भुखमरी का मापन सही परिणाम नहीं देगा। इस सूचकांक की सबसे बड़ी कमी यह है कि यह भुखमरी और कुपोषण में अंतर नहीं करता। वास्तव में इस सूचकांक में भुखमरी की स्थिति का आकलन न तो वैज्ञानिक है और न ही तर्कसंगत।

चूंकि वैश्विक भुखमरी सूचकांक के चार मानकों में से तीन मानक पांच वर्ष के बच्चों से ही संबधित हैं, इसलिए इसे बच्चों की स्थिति का आकलन माना जाना चाहिए। जब भूख एवं पोषण से संबंधित अनेक आंकड़े राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा अपनी-अपनी रपट में प्रस्तुत किए जाते हैं तो फिर एक एनजीओ की रपट को इतनी तव्वजो देने का कोई कारण नजर नहीं आता।

स्वास्थ्य मंत्रालय, महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के जल, सफाई एवं स्वच्छता कार्यक्रम आदि के संयुक्त प्रयासों से भारत में शिशु मृत्यु दर कम हुई है। भारत में शिशु मृत्यु दर 90 प्रति हजार से घटकर 32 प्रति हजार रह गई है। बच्चों को मरने से बचाया तो जा रहा है, पर जनसंख्या के आनुपातिक रूप से उन्हें अच्छा स्वास्थ्य देने की दिशा में बहुत कार्य किया जाना शेष है।

इस तथ्य को नहीं झुठलाया जा सकता कि पांच साल तक के बच्चों में वेस्टिंग (ऊंचाई के हिसाब से कम वजन) की समस्या है। भारत में 6.7 लाख परिवारों के सर्वे का डाटा भी उपलब्ध है, जो यह बताता है कि 48 प्रतिशत महिलाओं में एवं 52 प्रतिशत पुरुषों में कुपोषण कम हुआ है। यूएन चार्टर के अनुसार भुखमरी घटाने की दिशा में भारत ने अच्छा काम किया है। भारत सरकार सतत विकास लक्ष्य के अंतर्गत यह प्रयास कर रही है कि 2030 तक देश से भुखमरी को समाप्त कर दिया जाए। भारत सरकार दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम चला रही है।

निःसंदेह गरीब कल्याण अन्न योजना, प्रधानमंत्री मैत्री वंदना योजना, इंद्रधनुष, पोषण अभियान आदि के तहत पोषण के स्तर को बढाने हेतु अभी लंबा सफर तय किया जाना बाकी है, लेकिन भारत की स्थिति उतनी गंभीर नहीं, जितनी वैश्विक भुखमरी सूचकांक में दिखाई गई है। इसके चलते यह रैंकिंग संदेह को जन्म देती है। भारत में प्रति व्यक्ति आहार ऊर्जा आपूर्ति में वृद्धि हो रही है और आजादी के बाद खाद्यान्न का उत्पादन पांच गुना बढ़ गया है।

ऐसे में यह आवश्यक है कि खाद्य सुरक्षा के साथ कुपोषण सुरक्षा को भी जोड़ा जाए। कैलोरी की कमी को पूरा करने हेतु खाने में प्रोटीन एवं पोषक तत्वों की मात्रा में वृद्धि की जाए। केंद्र एवं राज्य सरकारें पोषण संबंधी जागरूकता के साथ-साथ प्रत्येक गांव को पोषण सुरक्षा चक्र से सुरक्षित करने हेतु मिलकर कार्य करें। मौजूदा पोषण कार्यक्रमों को प्रभावी बनाने हेतु उसे स्वयं सहायता समूहों के साथ जोड़ना होगा, जिससे 2030 तक सभी प्रकार के कुपोषण को समाप्त किया जा सके। हमें किसी एनजीओ की लकीर को मिटाने के बजाय एक बड़ी लकीर खींचनी चाहिए।

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