इसके साथ ही बजट में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए अपने केवाईसी मानदंडों को निवेशकों के अधिक से अधिक अनुकूल बनाने का ऐलान किया गया है. वहीं सेबी सूचीबद्ध कंपनियों में न्यूनतम सरकारी शेयरधारिता 25 फीसदी से बढ़ाकर 35 फीसदी करने पर विचार करेगा.
सेबी सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है ने सामाजिक शेयर बाजार की संचालन परिषद के लिये रूपरेखा जारी की
नियामक के एक परिपत्र में कहा गया है कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है संचालन परिषद सामाजिक उद्यमों के पंजीकरण, कोष जुटाने और खुलासे के संबंध में सामाजिक शेयर बाजार (एसएसई) के सुचारू संचालन को सुगम बनाने के लिये मार्गदर्शन प्रदान करेगी।
शेयर बाजार को सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है अलग से इस तरह के बाजार की शुरुआत को लेकर सेबी से अंतिम मंजूरी लेने से पहले सामाजिक शेयर बाजार के लिये संचालन परिषद का गठन करना होगा।
नियामक के अनुसार, परिषद में क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले व्यक्ति शामिल होंगे जो एसएसई के विकास में योगदान कर सकते हैं।
परिषद में प्रतिनिधित्व संतुलित होगा। यानी इसमें परमार्थ, गैर-लाभकारी संगठन, सामाजिक ऑडिट पेशेवर समेत विभिन्न श्रेणियों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधि शामिल होंगे। संचालन परिषद में न्यूनतम सात सदस्य होंगे।
शेयर बाजार के निदेशक मंडल को परिषद की बैठक के बारे में प्रक्रिया, दो बैठकों में अंतर, सदस्यों की संख्या निर्धारित करनी होगी। साथ ही हितों के टकराव को लेकर दिशानिर्देश जारी करने होंगे। परिषद की बैठक नियमित आधार पर होगी। वित्त वर्ष में इसकी न्यूनतम चार बैठकें होगी।
NGO के लिए फंड सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है जुटाना हुआ आसान, बजट में सरकार का ये है बड़ा फैसला
- नई दिल्ली,
- 06 जुलाई 2019,
- (अपडेटेड 06 जुलाई 2019, 3:26 PM IST)
सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों (एनजीओ) के लिए अब फंड जुटाना आसान हो गया सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है है. दरअसल, आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज बनाने का ऐलान किया है. इसका मतलब यह हुआ कि अब एक प्राइवेट कंपनी की तरह एनजीओ भी खुद को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराकर फंड जुटा सकेंगी. यहां बता दें कि इस तरह के स्टॉक एक्सचेंज ब्रिटेन, कनाडा, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और जमैका में पहले से स्थापित हैं.
क्या कहा वित्त मंत्री ने
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