पहली बार SIP कर रहे हैं? इन 5 बातों पर रखें ध्यान
म्यूचुअल फंड सबसे अच्छे इंस्ट्रूमेंट में से एक हैं। इसमें सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) करने जा रहे हैं। पहली बार निवेश करने में आपकी मदद करने के लिए यहां 5 सुझाव दिए जा रहे हैं।
अपनी निवेश यात्रा शुरू करने के लिए म्यूचुअल फंड सबसे अच्छे इंस्ट्रूमेंट में से एक हैं। आप इसमें या तो एकमुश्त निवेश कर सकते हैं या एक सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) चुनकर समय-समय पर थोड़ी राशि का निवेश कर सकते हैं। शुरुआती या पहली बार के निवेशकों के लिए एसआईपी सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि यह आपको कम निवेश जोखिम पर अधिक रिटर्न हासिल करने में सक्षम बनाता है। आप अपनी आय और वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर एक निश्चित अवधि के लिए इसमें हर सप्ताह, महीने, तिमाही या छमाही में एक निश्चित राशि का निवेश कर सकते हैं।
पहली बार के निवेशक प्रायः म्यूचुअल फंड में बड़ी रकम लगाने में हिचकिचाते हैं, लेकिन SIP में निवेश के लिए बड़ी राशि की आवश्यकता नहीं होती है। आप 500 रुपए की छोटी राशि के साथ भी एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू कर सकते हैं। अपने वित्तीय लक्ष्यों को निर्धारित करके अपने निवेश की सावधानीपूर्वक योजना बनाएं। एसआईपी में पहली बार निवेश करने में आपकी मदद करने के लिए यहां 5 सुझाव दिए जा रहे हैं।
अपने निवेश लक्ष्यों की पहचान करें
आपके पास अपना निवेश शुरू करने के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह के लक्ष्य होने चाहिए। एसआईपी शुरू करने से पहले, इस निवेश के जरिए हासिल किए जाने वाले लक्ष्य की पहचान करना आवश्यक है। इस आसान उपाय से आपको अपनी लक्षित धनराशि के साथ निवेश की जाने वाली राशि और अपेक्षित अवधि को तय करने में मदद मिलेगी। आपके वित्तीय लक्ष्य अलग-अलग हो सकते हैं जैसे कि कार खरीदना, घर खरीदना, बच्चों की पढ़ाई, विवाह आदि। इस तरह एक ही एसआईपी आपके सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती है। वित्तीय लक्ष्यों की संख्या के आधार पर, आप अपने प्रत्येक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक से अधिक एसआईपी में निवेश कर सकते हैं।
निवेश रिटर्न के साथ मुद्रास्फीति को मात दें
निवेश के सुनहरे नियमों में से एक है- निवेश करते समय मुद्रास्फीति के कारकों पर ध्यान देना। एसआईपी चुनते समय आपको मौजूदा और भविष्य की मुद्रास्फीति के कारकों को ध्यान में रखना चाहिए। भले ही आप अभी निवेश कर रहे हैं लेकिन आपके भविष्य के लक्ष्य बदल सकते हैं, और तब आपकी जरूरतें पूरी करने के लिए अधिक धन की आवश्यकता हो सकती है। प्रायः यह देखा गया है कि कई निवेश करने के बावजूद लोगों के पास जरूरत के वक्त पैसे कम पड़ जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे मुद्रास्फीति की अनदेखी करते हैं जो निवेश पर मिलने वाले उनके रिटर्न को कम कर देता है। यह सलाह दी जाती है कि आप निवेश अवधि में अनुमानित मुद्रास्फीति पर विचार करते हुए अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप कॉर्पस का लक्ष्य निर्धारित करें और उसी अनुसार एसआईपी की राशि तय करें।
निवेश योजनाओं का चुनाव सावधानीपूर्वक करें
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए बाजार में कई विकल्प उपलब्ध हैं। यह इक्विटी फंड, डेब्ट फंड या हाइब्रिड फंड आदि हो सकता है। जोखिम उठाने की अपनी क्षमता, रिटर्न की उम्मीद तथा वित्तीय लक्ष्य हासिल करने के लिए उपलब्ध अवधि के आधार पर, आप अपने लिए उपयुक्त म्यूचुअल फंड का चुनाव कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप अधिक जोखिम उठा सकते हैं और अधिक रिटर्न की उम्मीद करते हैं तथा आपके पास निवेश के लिए लंबा समय है, तो आप इक्विटी एसेट क्लास का विकल्प चुन सकते हैं। जो निवेशक कम जोखिम उठाना चाहते हैं, वे डेब्ट फंड में निवेश कर सकते हैं। मध्यम जोखिम क्षमता वाले वाले निवेशक, जो औसत रिटर्न की चाह रखते हैं, अपने लिए हाइब्रिड फंड का विकल्प चुन सकते हैं।
इसके अलावा, उपयुक्त योजना और म्यूचुअल फंड कंपनी का चयन भी बहुत महत्वपूर्ण है। बाजार में ऐसी कई म्यूचुअल फंड कंपनियां हैं जो विभिन्न निवेश योजनाओं की पेशकश करती हैं। यह जरूरी नहीं कि एक ही म्यूचुअल फंड कंपनी की सभी योजनाओं में आकर्षक रिटर्न देने क्षमता हो। सही म्यूचुअल फंड कंपनी का चयन करने के लिए, आपको कंपनी के ट्रैक रिकॉर्ड, निवेश की लागत, योजना के पिछले प्रदर्शन, अधिक रिटर्न बनाने में फंड मैनेजर की क्षमता, आदि कारकों के आधार पर उनकी तुलना करनी चाहिए।
अपने निवेशों को डाइवर्सिफाई करें
अपने निवेश को डाइवर्सिफाई करनाएक अच्छी निवेश रणनीति है। जैसा कि पहले भी उल्लेख किया गया है, आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और रिटर्न की उम्मीदों के अनुसार निवेश करना चाहिए। उम्र, आर्थिक जिम्मेदारियां, निवेश अवधि, आय, देयता, आदि कारकों से निवेशक की जोखिम उठाने की क्षमता प्रभावित होती है। डाइवर्सिफ़िकेशन से जोखिम कम करने में मदद मिल सकती है। डाइवर्सिफ़िकेशन के लिए, आपको अलग-अलग एसेट क्लास, स्कीम और म्यूचुअल फंड कंपनियों में निवेश करना चाहिए।
उम्मीद के अनुरूप रिटर्न पाने के लिए पर्याप्त मात्रा में डाइवर्सिफिकेशन बनाए रखना अहम है। अत्यधिक डाइवर्सिफ़िकेशन की वजह से निवेश पर मिलने वाला रिटर्न कम हो सकता है जबकि अपेक्षा से कम डाइवर्सिफिकेशन होने पर निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर जोखिम की संभावना अधिक हो सकती है।
अपने SIP निवेश पर नजर रखें
निवेश का मतलब यह नहीं है कि आप कुछ उत्पादों में अपना पैसा लगाकर भूल जाएं। आपको नियमित अंतराल पर निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर अपने निवेश के प्रदर्शन पर नजर रखनी चाहिए। कभी-कभी आपका निवेश आपकी उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर सकता है। ऐसा फंड के गलत चयन या बाजार की नकारात्मक स्थिति के कारण हो सकता है। यदि आप नियमित रूप से अपने फंड के प्रदर्शन पर नजर रखते हैं, तो आप यह सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय अपना सकते हैं कि आपका निवेश समय पर आपके वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में आपकी मदद करने के लिए अपेक्षित रिटर्न प्रदान करना जारी रखे। आप आशानुरूप प्रदर्शन नहीं करने वाले फंड को हटा सकते हैं, और उस निवेश को किसी ऐसे फंड में स्विच कर सकते हैं जो बेहतर रिटर्न की संभावनाएं प्रदान करता है और जो आपकी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुरूप निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर है। एसआईपी में आपको लंबी अवधि में रुपए की कॉस्ट-एवरेजिंग का लाभ मिलता है। इसलिए, जितना अधिक समय तक आप एसआईपी के जरिए निवेश करते हैं, अधिक रिटर्न प्राप्त करने की संभावना उतनी ही बेहतर होती है।
सख्त वित्तीय अनुशासन और धैर्य के साथ लगातार निवेश करें। यदि आपका वित्तीय लक्ष्य प्राप्त हो जाए तो अपनी एसआईपी बंद कर सकते हैं, और निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर अपने जोखिम उठाने की क्षमता तथा रिटर्न की उम्मीदों पर विचार करते हुए फंड को दूसरे लक्ष्य के लिए एक नई एसआईपी की ओर मोड़ सकते हैं।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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Post Office Gram Suraksha Yojana: हर माह 1500 रुपये का निवेश करने पर सवर जाएगा भविष्य! बस एक बार बढ़ाएं कदम, जानें- पूरी डिटेल्स
Post Office Gram Suraksha Yojana: कौन नहीं चाहता कि वो एक सुखद जीवन बिताए। हालांकि, गुणवत्तापूर्ण जीवन आमतौर पर एक महंगा प्रयास है जिसके लिए सावधानीपूर्वक वित्तीय नियोजन की आवश्यकता होती है। केवल पॉश शहरों में ही नहीं, बल्कि बदहाली वाले शहरों में भी आर्थिक संतुलन बनाए रखना सबसे आम तरीका हो गया है। अधिकांश लोग सबसे अच्छे वित्तीय निवेश की तलाश करते हैं जहां से वे अधिकतम और सुरक्षित रिटर्न प्राप्त कर सकें।
यहां पोस्ट ऑफिस की पॉलिसी का विवरण दिया गया है जहां से आपको मैच्योरिटी के समय एकमुश्त राशि मिलेगी। इस नीति का नाम ग्राम सुरक्षा योजना है, जो एक सामाजिक सुरक्षा योजना है। आइए एक नजर डालते हैं इस स्कीम पर…
आमतौर पर किसी भी निवेश में कुछ न कुछ जोखिम होता है। लेकिन, हर किसी में जोखिम लेने की क्षमता नहीं होती है। यह सामाजिक सुरक्षा योजना एक ऐसा विकल्प है जिसमें आप कम जोखिम के साथ अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना में हर महीने 1500 रुपये जमा करने पर आपको आने वाले समय में 31 से 35 लाख का लाभ मिलेगा।
पात्रता मापदंड
– इस योजना के लिए प्रवेश की आयु 19 वर्ष है।
– आप 55 साल की उम्र तक निवेश कर सकते हैं।
– न्यूनतम बीमा राशि 10,000 रुपये और अधिकतम 10 लाख रुपये होगी।
– कोई भी मासिक, त्रैमासिक, अर्ध-वार्षिक या वार्षिक प्रीमियम का भुगतान कर सकता है।
– आप इस पॉलिसी पर लोन ले सकते हैं।
रिटर्न कैलकुलेटर
मान लीजिए कोई व्यक्ति 19 साल की उम्र में निवेश करता है और 10 लाख रुपये की पॉलिसी खरीदता है, तो उसका मासिक प्रीमियम 55 साल के लिए 1515 रुपये, 58 साल के लिए 1463 रुपये और 60 साल के लिए 1411 रुपये होगा। पॉलिसी खरीदार को 55 साल के लिए 31.60 लाख रुपये, 58 साल के लिए 33.40 लाख रुपये और 60 साल की पॉलिसी के लिए 34.60 लाख रुपये का मैच्योरिटी लाभ मिलेगा।
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म्युचुअल फंड पर बढ़ रहा निवेशकों का भरोसा, अब जोखिम भी कबूल है!
म्युचुअल फंड में निवेश लगातार बढ़ता जा रहा है और हर दिन नए निवेशक इससे जुड़ते जा रहे हैं
‘म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट्स आर सब्जेक्ट टू मार्केट रिस्क्स‘
म्युचुअल फंड के हर विज्ञापन के अंत में आपको ये बात देखने-सुनने या पढ़ने को जरूर मिलेगी, लेकिन ऐसा लगता है कि देश के छोटे निवेशक अब ये रिस्क उठाने के लिए तैयार हैं. तभी तो म्युचुअल फंड में निवेश लगातार बढ़ता जा रहा है और हर दिन नए निवेशक इससे जुड़ते जा रहे हैं.
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया यानी एम्फी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल से जुलाई के सिर्फ 4 महीनों में 29 लाख से ज्यादा नए इक्विटी फंड फोलियो जुड़े हैं.
फोलियो हर इंडिविजुअल के इन्वेस्टर अकाउंट्स को मिलने वाली संख्या होती है, हालांकि एक इन्वेस्टर एक से ज्यादा म्युचुअल फंड फोलियो भी रख सकता है. एम्फी के मुताबिक मार्च के अंत तक देश में 4.08 करोड़ फोलियो थे, जो जुलाई अंत तक बढ़कर 4.37 करोड़ से ज्यादा हो चुके हैं. ये बढ़त इसलिए मायने रखती है, क्योंकि पिछले पूरे साल में 48 लाख फोलियो जुड़े थे, जबकि 2015-16 में 43 लाख और 2014-15 में 25 लाख.
इसका मतलब ये भी है कि कारोबारी साल 2014-15 की शुरुआत से अब तक करीब डेढ़ करोड़ नए फोलियो म्युचुअल फंड इंडस्ट्री के खाते में जुड़े हैं. इसकी कई वजहें हैं, जिनमें सबसे अहम है पिछले 3 साल में इक्विटी म्युचुअल फंड निवेशकों को मिला शानदार रिटर्न. इस रिटर्न ने छोटे निवेशकों को इक्विटी मार्केट की तरफ खींचा है.
अगर आप पिछले तीन साल में इक्विटी म्युचुअल फंड स्कीमों के रिटर्न पर नजर डालें, तो न्यूनतम रिटर्न मिला है 10.83%, जबकि अधिकतम रिटर्न है 30%. वहीं टॉप 5 इक्विटी फंड के रिटर्न देखें, तो साफ होगा कि इनमें काफी कम अंतर रहा है.
इतने शानदार रिटर्न की उम्मीद आप किसी भी निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर दूसरे एसेट क्लास में नहीं कर सकते. एफडी में रिटर्न सिंगल डिजिट में आ चुका है, तो गोल्ड और प्रॉपर्टी में तो रिटर्न निगेटिव भी हो गए हैं. और यही निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर है दूसरी वजह कि निवेशकों का रुझान इक्विटी म्युचुअल फंड की तरफ बढ़ा है. तीसरी वजह है म्युचुअल फंड में निवेश करने में आसानी, और ये आसानी आई है सिस्टैमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी से. इस वक्त म्युचुअल फंड इंडस्ट्री के पास 1.52 करोड़ एसआईपी अकाउंट हैं. एम्फी के मुताबिक एसआईपी अकाउंट में औसत मासिक निवेश 3,250 रुपए हो चुका है, और कुल मासिक निवेश पांच हजार करोड़ का आंकड़ा छूने वाला है.
म्युचुअल फंड में लगातार बढ़ते निवेश ने देश की म्युचुअल फंड इंडस्ट्री के एसेट अंडर मैनेजमेंट यानी एयूएम को 20 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंचा दिया है. मई 2014 में ये 10 लाख करोड़ था. यानी तीन साल की अवधि में ही म्युचुअल फंड इंडस्ट्री के एसेट दोगुने हो गए हैं.
खास बात ये है कि सिर्फ इक्विटी स्कीमों का एयूएम जुलाई अंत तक 6.29 लाख करोड़ पहुंच चुका है. इन्वेस्टमेंट इनफॉर्मेशन और क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें अच्छा-खासा योगदान देश के छोटे (बी15) शहरों का भी है.
बी15 वो शहर हैं, जो देश के सबसे बड़े पंद्रह शहरों के बाद आते हैं और इनका एयूएम में योगदान करीब 18 फीसदी यानी 3.60 लाख करोड़ रुपये का हो चुका है. छोटे शहरों के निवेशकों को लुभाने में एम्फी के प्रोमोशनल विज्ञापनों और डिस्ट्रीब्यूटरों को मिल रहे स्पेशल इंसेंटिव्स की भी अहम भूमिका रही है.
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क्या होता है IPO. क्या है इससे चुनने का सटीक निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर तरीक, जानिए इससे जुड़े हर सवाल का जवाब
लंबे इंतजार के बाद देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC अब IPO के जरिए स्टॉक मार्केट में एंट्री कर रही है. सरकार ने इस बीमा कंपनी में अपनी साढ़े तीन 3.5 फीसदी की हिस्सेदारी बेचकर 21 हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है.
IPO
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 04 मई 2022,
- (Updated 04 मई 2022, 1:13 PM IST)
संस्थागत निवेशकों से मिल चुके हैं 5620 करोड़ रुपए
जनवरी से मार्च में खुले 90 लाख डीमैट अकाउंट
बहुत सारे लोगों के लिए बाजार में निवेश का गणित समझ से परे होता है. एक तरफ निवेश के फायदे हैं तो दूसरी ओर उसके तमाम जोखिम भी हैं. लेकिन पहली बार बाजार में ऐसी हचलल हुई है. जिसकी वजह से आम से लेकर खास सबकी नजरें बाजार पर हैं. LIC के IPO का इंतजार खत्म हो गया है. जिस LIC से लोगों का रिश्ता जिंदगी के निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर साथ और जिंदगी के बाद भी जुड़ा है. उस LIC में निवेश को लेकर हर कोई उत्सुक है. लेकिन बाजार और खासकर निवेश का गणित आसान नहीं होता. उसे समझना होता है. तो आज हम आपको समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर LIC के IPO को लेकर इतनी हचलल क्यों है. क्या LIC के IPO में निवेश करना बेहद आसान है. साथ ही आपको ये भी बताते हैं कि आईपीओ क्या है?
LIC IPO को लेकर क्यों है इतनी हलचल?
LIC पॉलिसीधारक इस IPO को लेकर इतने उत्साह में है. सबसे बड़ी बात ये है कि इंश्योरेंस सेक्टर में LIC बहुत बड़ा नाम है. देश में LIC के 1 लाख कर्मचारी हैं और करीब 30 करोड़ पॉलिसी होल्डर हैं.12 लाख एजेंट LIC के लिए काम करते हैं. जाहिर है LIC के इस IPO में पॉलिसी धारक और कर्मचारियो के लिए काफी कुछ है. लिहाजा इस पॉलिसी की वजह से बाजार में उत्साह देखते ही बन रहा है. लंबे इंतजार के बाद देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC अब IPO के जरिए स्टॉक मार्केट में एंट्री कर रही है. सरकार ने इस बीमा कंपनी में अपनी साढ़े तीन (3.5) फीसदी की हिस्सेदारी बेचकर 21 हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है. IPO के जरिए LIC के शेयर खऱीदने के लिए लोगों को 6 दिन मौका मिलेगा.
संस्थागत निवेशकों से मिल चुके हैं 5620 करोड़ रुपए
एलआईसी के आईपीओ के लिए 9 मई तक अप्लाई किया जा सकता है. प्राइस बैंड 902-949 रू प्रति शेयर तय की गई है. पॉलिसीधारकों और रिटेल निवेशकों को छूट भी दी गई है. पॉलिसीधारकों को 60 रू प्रति शेयर की छूट दी गई है. वहीं रिटेल निवेशकों को 45 रू की छूट दी गई है. रिटेल निवेशक 2 लाख रुपए तक निवेश कर सकते हैं. बड़ी संस्थाओं के लिए 2 मई से ही IPO खरीदने का मौका दिया गया था. इनके हिस्से के सारे शेयर 2 मई को ही बुक हो गए. यानि अबतक संस्थागत निवेशकों से LIC को 5620 करोड़ रुपए मिल चुके हैं.
जनवरी से मार्च में खुले 90 लाख डीमैट अकाउंट
LIC के IPO का कितनी बेसब्री से इंतजार हो रहा था, ये बात इसी से साबित होती है कि इस साल जनवरी से मार्च के दौरान 90 लाख से ज्यादा डीमैट अकाउंट खोले गये. ये आंकड़े एनएसडीएल और सीडीएसएल के हैं. इसके साथ ही इस साल 31 मार्च तक कुल डीमैट अकाउंट की संख्या बढ़कर 8.97 करोड़ पहुंच गई है. मतलब ये है कि LIC के IPO के साथ ही स्टॉक मार्केट में कारोबार में नई हरियाली देखी जा सकती है. और निवेशकों को भी काफी फायदा होने की उम्मीद है.
क्या है IPO? (What is IPO)
जब कोई कंपनी अपने सामान्य स्टॉक या शेयर को पहली बार जनता के लिए जारी करती है तो उसे IPO कहते हैं. IPO दो तरह के होते हैं पहला फिक्स्ड प्राइस IPO और दूसरा बुक बिल्डिंग IPO. कंपनी जब IPO लाती है तो उसे मार्केट रेग्युलेटर यानी सेबी के निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर नियमों का पालन करना होता है. नियमों पर खरा उतरने के बाद ही कंपनी IPO लाती है. एलआईसी पॉलिसी धारकों के लिए IPO में प्रति शेयर 60 रुपए की छूट दे रहा है. यही नहीं एलआईसी कर्मचारियों को भी IPO में अप्लाई करने पर 45 रुपए शेयर डिस्काउंट मिल रहा है.
कैसे खरीदें IPO? (How to Buy IPO)
आइए आपको LIC आईपीओ में निवेश का आसान तरीका बताते हैं,.
1- पहली बात तो ये है कि किसी भी आईपीओ में अप्लाई के लिए आपके पास Demat Account होना जरूरी है.
2- अगर आपका ज्वाइंट डिमैट एकाउंट है तो आपको पहला या प्राइमरी एकाउंट होल्डर होना चाहिए.
3- जब आप डिमैट अकाउंट से LIC के IPO में अप्लाई करेंगे, तो आपको Investor कैटेगरी चुनने के दौरान तीन विकल्प मिलेंगे.
4- ऑप्शन मे आपको 'New, Policyholder और Employee' तीन कैटेगरी नजर आएगी.
5- अगर आप एलआईसी पॉलिसी होल्डर नहीं हैं, और न ही LIC के कर्मचारी हैं तो फिर आपको सामान्य कैटेगरी यानी New का चयन करना होगा.
6- सामान्य कैटेगरी में अप्लाई करने पर एक लॉट आईपीओ के लिए आपको अपर प्राइस बैंड के हिसाब से कुल 14,235 रुपये देने होंगे.
7- अगर आपने LIC की पॉलिसी ले रखी है, तो आपको Policyholder कैटेगरी चुनना होगा. इस कैटगरी को चुनने पर आपको LIC IPO में 10 फीसदी रिजर्वेशन मिलेगा और प्रति शेयर 60 रुपये की छूट मिलेगी.
8 - वहीं अगर आप LIC के कर्मचारी हैं तो फिर आपको Employee कैटेगरी पर क्लिक करना होगा
9 - LIC कर्मचारियों को इस IPO में अप्लाई करने पर 45 रुपये प्रति शेयर का डिस्काउंट मिलेगा. तो इस कैटेगरी में एक लॉट के अप्लीकेशन पर 13,560 रुपये देने होंगे.
10 - एक बात अच्छे से समझ लीजिए कि IPO के एक लॉट में 15 शेयर मिलेंगे
11. हालांकि अगर आप पॉलिसी होल्डर के साथ-साथ LIC के कर्मचारी भी हैं तो तीनों कैटेगरी में आवेदन कर सकते हैं
12. तीनों कोटे में अलग-अलग निवेश की सीमा 2-2 लाख रुपये ही है यानी ऐसे निवेशक 6 लाख तक निवेश कर सकते हैं.
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